Friday, January 1, 2010

happy new year, my foot...अर्थात...मेरे पैर, नववर्ष मंगलमय हो....

हालाँकि मेरी जगह अगर यह बात नवीन ने कही होती तो शायद ज्यादा सूट करता.... खैर, जो भी हो असल बात तो यह है कि घडी के कांटे ने सिर्फ छह डिग्री का सफ़र तय कर बहुत सारी चीज़ें बदल दीं...तारीख, महिना, साल, दशक.... और सोच...
बचपन में हमें डराया जाता था कि साल के पहले दिन जो करोगे वही साल भर करना पड़ेगा... मैं बड़ा खुश होता था पहले दिन छुट्टी होती थी स्कूल की....यानि पुरे साल छुट्टी... पर बिल्ली के भाग से छींका फूट तो सकता है, पर प्लेट में सजा हुआ नहीं आ सकता... हमने सीखा कि बड़े लोग हमसे ज्यादा अच्छा झूठ बोलते हैं.....
फिर हम भी बड़े हो गए... ( और पड़ोस की लड़कियां भी).....हमने भी अच्छा झूठ बोलना सीखा...हर साल पहली जनवरी को खुद से कई झूठ बोले...इस साल ये करेंगे... वो करेंगे...और फिर कुछ नहीं...
आज कई साल बाद दोबारा वही झूठ बोले हैं....पर इस बार मन वो बचपन वाला है... सच करने हैं सारे झूठ...आपके साथ....साथ चलेंगे...